Friday, July 31, 2009

पति की व्यथा

मैं थका और बहुत पका
एक गीला तौलिया आज फिर बिस्तर पर रखा
वो आई चिल्लाती हुई
पिछले कुछ घंटों से गुर्राती हुई
मैंने झटपट नाश्ते का एक कौर चखा
उसके शोर मचाने से पहले मैं एकदम से बका
बेस्वाद खाने से अच्छा खाली पेट रखा

हर दिन डर में जीता हूँ
हरदम भूख मैं पीता हूँ
ग़म आँसू की ओढ़ में
फटता जीवन सीता हूँ ......

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