मैं थका और बहुत पका
एक गीला तौलिया आज फिर बिस्तर पर रखा
वो आई चिल्लाती हुई
पिछले कुछ घंटों से गुर्राती हुई
मैंने झटपट नाश्ते का एक कौर चखा
उसके शोर मचाने से पहले मैं एकदम से बका
बेस्वाद खाने से अच्छा खाली पेट रखा
हर दिन डर में जीता हूँ
हरदम भूख मैं पीता हूँ
ग़म आँसू की ओढ़ में
फटता जीवन सीता हूँ ......
A fan!!
ReplyDeletethanks. hope many more will be. By the way read my upcoming book 'Kalam ki zubani'
ReplyDeleteahem ahem..neway har pati ki dukh bhari kahani
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