Wednesday, January 11, 2017

पॉलिटिक्स समझ ना आयी

लिख रहा था कविता मैं,
किंतु मन में चिंता गहराई,
 देश समाज की फ़िक्र में,
 सारी उमर गंवाई। 

नेता लेकर निकले 
अपनी अपनी टोली, 
जैसे बच्चे गुट में फिरते हैं, 
जब आती है होली। 

इक ओर से मारे गए 
इलज़ामों के गुब्बारे, 
दूसरी ओर के 
जवाब भी थे करारे। 

जनता तैयार  थी लेकर
टिप्पणीयों के बाण, 
पर मीडिया के घूसख़ोरों ने
 भर दिए उसके कान।  

अखबारों  में  फिर 
जब छपा संपादकीय,
अकस्मात हो चला
 दूसरा दल सबको प्रिय। 

इस उथल पुथल को देख कर, 
कवि -अकल बलखायी 
नारी को समझना आसान लगा 
पर पॉलिटिक्स समझ  ना आयी।।

Saturday, November 3, 2012

आम आदमी की कहानी


कलम की ज़ुबानी
मैं आज फिर से गाता हूँ
आम-आदमी की दुःख भरी कहानी
मैं खुद को समझता था शेर
पर वक़्त ने पलटी  मारी
और हुआ मैं ढेर
स्कूल में मास्टर जी के डंडे ने
पढाया मुझे पाठ
और बाबू जी की पिटाई ने
खड़ी  कर दी मेरी खाट
फिर आया वक़्त नौकरी का
और रोज़मर्रा की मारा मारी ने
फिर एक बार कर दिया मुझे टेम
बचा था बस एक घर मेरा जहां था मैं शेर
 वहाँ भी ले आया मैं एक मेम
फिर बच्चों की चिक चिक में मैंने गवायाँ अपना अस्तित्व
मेहेंगाई की मार में डिप्रेशन बना मेरा परम मित्र
अपने गुसलखाने की चार दीवारी में मैं अब दहाड़ता हूँ
बहते नल की आवाज़ में मैं ऊंची डींगे बघारता हूँ।

Thursday, September 6, 2012

आड़ू आदमी

आदमी आड़ू कब होता है
जब वो दिन में सोता है
और रात में रोता है
SURF  डालकर bathtub में नहाता है 
और cinthol से कपडे धोता है
बाल्टी में मुह  डालकर आवाज़ गुंजाता है
और गहरी वादियों में चुप हो जाता है
पैरों की  धुल से चादर सानता है
और नहाकर ज़मीन पर लोट जाता है
अच्छे खासे खाने को छोड़ 
जब वह  ख़ुशी ख़ुशी  उड़द की दाल चबाता है
आदमी तब पूरा आड़ू कहलाता है.. 

Wednesday, March 7, 2012

टूटा घुटना

टूटे घुटने पर ही मारते हैं सब
आखिर सहूँ मैं ये कब तक?
कुछ बोलने के लिए मुझे नहीं मिलते हैं अपशब्द
क्यों टूटे घुटने पर ही मारते हैं सब

मैं पूछता हूँ क्या इन ज़ख्मों ने तुम्हे कुछ नहीं सिखाया
इन भिड़ती झुर्रियों ने नहीं तुम्हे कुछ बताया
इस पर ज़ख्म देने वाले भी रह जाते हैं निस्तब्ध
क्यों टूटे घुटने पर ही मारते हैं सब

अगर मारना ही था तोह एक लाठी भी दे जाते
'गर खुद को सँभालने के लिए सहारा ही बन जाते
तो इशारे पर खुदा के हम भी सह जाते हर दर्द
क्यों टूटे घुटने पर ही मारते हैं सब.

Tuesday, November 1, 2011

पढाई की है सारी लड़ाई

मैं अब तक पढ़ रहा हूँ
समाज और प्रगति के नाम पर सड़ रहा हूँ
कितनी देर से थका हुआ है मेरा दिमाग
और सामने वाली बहिनजी अलाप रही हैं एक ही राग
दुनिया के इन दस्तूरों ने मुझे पागल बना डाला है
कभी बीत सकने वाली सदियों ने बहुत पका डाला है

मैं क्या करूँगा इतना पढ़ के
जब जी रहे है ख़ुशी से और भी लड़के
पी रहा हु कब से ग़म के आँसूं
क्या कभी जागेगी मेरे दुःख से इंसानियत की रूह
अब मुझे वापिस जाना है पढ़ने
जिससे कुछ खास मिले बायोडाटा में भरने ॥

Monday, August 15, 2011

हैप्पी Independence डे


भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई
खूब उडाओ पतंग और खाओ मिठाई
सभी धर्म आपस में रहे खुश
और सभी बंधू जीवन में रहें संतुष्ट
कहे काबिल कवि संसार में न होगा ऐसा देश
जिसमे अनंत हैं रूप, रंग, भाषा और भेष....

Thursday, March 10, 2011

Facebook

facebook ऐ facebook ये तो बता,

बनते है दोस्त यहाँ पर क्या?

सब बनते है kool यहाँ,

बनाते हैं 'FRIENDS FOREVER'

But I ALWAYZ think if they ever had been together

और भी ख़ास बात है इस FB की.

हो जाते हैं सारे bro और dude

which alwayyzz frces me to act rude..

Pics करते हैं upload jst fr the sake of uploading

and करते हैं status update tht also jst fr the sake of updating...

करते हैं अपने ही mobile se apni foto click..tht too standing in front of mirror..

and कोई न कर पाए इस logic को clear..

पर इससे होते हैं दो फायदे which have actually no कायदे..

होता है mobile का show off..nd अपनी pik किचने का पूरा शौक...which actually makes me shocked!!..

ppl write on their walls.

i m sad..suffering from fever.as if evrybody in this world care..

करते हैं wait उन लोगों का..न करी कभी ज़िंदगी में जिनसे बात..

और नाही कर paayenge कभी ऐसे वार्तालाप...

have guts to talk on face nd not on Facebook...

इस fb कर दिया famous कुछ words को ..नहीं कछ लोगो को..

wassup...ahk..hiiiiiiiiiiiiiii...okzz...w8..ol9...

by the way...anwzz...its the source of my inspiration...

nd the way to shooww my stupid creation!


यह कविता हमारे ही एक श्रोता(रिषभ जैन) ने लिख कर अपनी काबिलियत पूरे भारतवर्ष के सामने ज़ाहिर की हैहम उसकी काबिलियत की सरहना एवं सम्मान करते हुए, यह कविता आप सबके सामने प्रस्तुत करते हैं