कविताएँ हुई कम
कवि को सताए ये गम
रात दिन कलम उठाये
घूमता है कवि हरदम
कविता में लिख डालूँ किसी का पता
या कह दूं एक बिल्ले की कथा
डालूँ किसी breadpakode में जान
इसी सोच में डूबा बैठा है कवि सदा
कहाँ गए वो श्रोता
कवि ने पाया अपने अन्दर एक सिक्का खोटा
सोच सोच के परेशान है कवि
की काश उसके के अन्दर कोई मस्त विचार होता
वहीँ उसने सामने देखा एक तोता
जीभ दिखा के बैठा था खिड़की पर मोटा
चिढ़ कर कवि ने उसको देखा
और फ़ैका उसपर एक लोटा
हँस कर बोला तोता
कविता के बिना कोई कवि नहीं होता
काबिल कवि को एक प्रेरणा मिली
और उसने फिर देवनागिरी में कविता लिखी
तोता और कवि गुनगुनाने लगे
और ठण्ड में गुनगुने पानी से नहाने लगे
तोता लोटे से और कवि श्री बिन लोटे के सुर लगाने लगे ...
Thursday, November 18, 2010
Wednesday, June 16, 2010
श्रोता की व्यथा-कथा
साथ हमारे घट गयी फिर एक घटना नयी,
हमसे जब टकरा गए एक काबिल कवि.....
क्या कहें उनकी कविता थी, या था मदिरा का प्याला,
ओस की बूंदे थी, या धधकती हुई ज्वाला....
उनकी अभिव्यक्ति की शक्ति, उनकी शब्दों की भक्ति,
कर गयी हमारे मस्तिष्क की बत्ती गुल....उड़ गया तर्क
ऐसे जैसे खुले पिंजरे की बुलबुल...
इतने मगन होके कर रहे थे उनकी कविता का रसस्वादन,
कि अनुत्तरित रह गया हमारे तात का दूरभाष-अभिनन्दन...
जब हुआ तात से साक्षात आमना-सामना,
ऐसे कौंधी बिजली की गगन रहा गया सन्न,
उनके शब्द-बाणों की गर्जना से काँप गया अंतर-मन....
तात की कड़वी फ़टकार पड गयी कविता के वीर-रस पे भारी,
करनी पड़ी क्षमा-याचना हमें बारम-बारी...
काबिल कवि तो कविता कह के हो गए उड़न-छू,
और हम कभी उनकी कविता पे, कभी अपनी दुर्दशा पे
वाह-वाह कहते रह गए !
**यह कविता हमसे ग्रस्त एक श्रोता के द्वारा लिखी गयी है, हम इस रचना का सम्मान करते हैं, और अपने पाठक का आभार व्यक्त करते हैं।
हमसे जब टकरा गए एक काबिल कवि.....
क्या कहें उनकी कविता थी, या था मदिरा का प्याला,
ओस की बूंदे थी, या धधकती हुई ज्वाला....
उनकी अभिव्यक्ति की शक्ति, उनकी शब्दों की भक्ति,
कर गयी हमारे मस्तिष्क की बत्ती गुल....उड़ गया तर्क
ऐसे जैसे खुले पिंजरे की बुलबुल...
इतने मगन होके कर रहे थे उनकी कविता का रसस्वादन,
कि अनुत्तरित रह गया हमारे तात का दूरभाष-अभिनन्दन...
जब हुआ तात से साक्षात आमना-सामना,
ऐसे कौंधी बिजली की गगन रहा गया सन्न,
उनके शब्द-बाणों की गर्जना से काँप गया अंतर-मन....
तात की कड़वी फ़टकार पड गयी कविता के वीर-रस पे भारी,
करनी पड़ी क्षमा-याचना हमें बारम-बारी...
काबिल कवि तो कविता कह के हो गए उड़न-छू,
और हम कभी उनकी कविता पे, कभी अपनी दुर्दशा पे
वाह-वाह कहते रह गए !
**यह कविता हमसे ग्रस्त एक श्रोता के द्वारा लिखी गयी है, हम इस रचना का सम्मान करते हैं, और अपने पाठक का आभार व्यक्त करते हैं।
Saturday, June 12, 2010
The Honkers
tarr tarr tarr tarr
silly frog talks
टप टप टप टप
rain drops drop
sitting in his bed he was licking lollypops
then came papa frog to ask him to shop
papa said beta billy go and buy one dog
these days its not safe even with the lock
silly billy took umbrella and went to the market
that was when he realized there was no money in his pocket
while on the way to home he saw one duck,
his master was selling it for no buck
the duck was a penalty upon his master
as it talked a lot and compelled him to blaster
billy took the duck and brought it home
his father got angry and cracked his bone.
But silly billy had the duck
He used it as truck
In the traffic down the road they saw a biker
Duck quacked a lot, Billy said "tarr tarr".
silly frog talks
टप टप टप टप
rain drops drop
sitting in his bed he was licking lollypops
then came papa frog to ask him to shop
papa said beta billy go and buy one dog
these days its not safe even with the lock
silly billy took umbrella and went to the market
that was when he realized there was no money in his pocket
while on the way to home he saw one duck,
his master was selling it for no buck
the duck was a penalty upon his master
as it talked a lot and compelled him to blaster
billy took the duck and brought it home
his father got angry and cracked his bone.
But silly billy had the duck
He used it as truck
In the traffic down the road they saw a biker
Duck quacked a lot, Billy said "tarr tarr".
Sunday, May 30, 2010
This fly is smart
मेंढक ने चाटा एक fly को
fly ने झटपट पकड़ा एक ply को
मेंढक के मुह में में wood अटकी
मेंढक ने मक्खी जीभ से पटकी
मेंधक ने मारा एक और try
और थूक के चाटी वोही fly
fly थी अपनी ज़बरदस्त
और ढेर सी wings में भर ली dust
मेंढक के मुह में धूल पड़ी
मेंढक बोला तू किस desert में है पली
थू थू थू
मक्खी में भरी है गू
मेंढक को अब मक्खी नहीं भाती है
उसको खाने के टाइम पे उबकाई आती है
fly हरदम उसके ऊपर मंडराती है
और मेंढक को पल पल रुलाती है..
fly ने झटपट पकड़ा एक ply को
मेंढक के मुह में में wood अटकी
मेंढक ने मक्खी जीभ से पटकी
मेंधक ने मारा एक और try
और थूक के चाटी वोही fly
fly थी अपनी ज़बरदस्त
और ढेर सी wings में भर ली dust
मेंढक के मुह में धूल पड़ी
मेंढक बोला तू किस desert में है पली
थू थू थू
मक्खी में भरी है गू
मेंढक को अब मक्खी नहीं भाती है
उसको खाने के टाइम पे उबकाई आती है
fly हरदम उसके ऊपर मंडराती है
और मेंढक को पल पल रुलाती है..
Sunday, March 14, 2010
आज की ताज़ा खबर
कोई अभिनेत्री गा रही है
किसी की भैंस कल शाम से मुस्कुरा रही है
किसी क्रिकेटर ने एक गीत लिखा है
एक एक्टर सुबह से खेल के मैदान में खड़ा है
मशहूर लोगों की नयी समझदारी बनी है आज की ताज़ा खबर
किसी ने अपने बाप को खूब पीटा है
किसी की माँ ने उसकी रोटी का आखिरी निवाला लूटा है
एक हाथी सुबह से नाले में पड़ा है
एक ऊँट अपने बाप से भी बड़ा है
रिश्तों की ईमानदारी बनी है आज की ताज़ा खबर
किसी ने कुछ करोड़ खाए हैं
किसी ने चुनावी पार्टी पे आरोप लगायें हैं
कोई बच्चा गड्ढे में गिरा है
एक नेता जनता से घिरा है
राजनेताओं की गाड़ी बनी है आज की ताज़ा खबर ।
किसी की भैंस कल शाम से मुस्कुरा रही है
किसी क्रिकेटर ने एक गीत लिखा है
एक एक्टर सुबह से खेल के मैदान में खड़ा है
मशहूर लोगों की नयी समझदारी बनी है आज की ताज़ा खबर
किसी ने अपने बाप को खूब पीटा है
किसी की माँ ने उसकी रोटी का आखिरी निवाला लूटा है
एक हाथी सुबह से नाले में पड़ा है
एक ऊँट अपने बाप से भी बड़ा है
रिश्तों की ईमानदारी बनी है आज की ताज़ा खबर
किसी ने कुछ करोड़ खाए हैं
किसी ने चुनावी पार्टी पे आरोप लगायें हैं
कोई बच्चा गड्ढे में गिरा है
एक नेता जनता से घिरा है
राजनेताओं की गाड़ी बनी है आज की ताज़ा खबर ।
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