बरसाने का छेदी लाल
पान खा कर करे कमाल
काली मूछें काले बाल
चलता है मस्तानी चाल
कुछ थूके थोड़ा इधर - उधर
कुछ इसके सर कुछ उसके घर
कभी दिन में घूमे शहर - शहर
कभी रात में देता पहर पहर
इक डंडे संग वो चलता है
और बीड़ा खा कर पलता है
एक रात को आए चोर चार
तब छेदी ने किया कमाल
नींद में उसने पिचकारी मारी
गीली - गीली गाढ़ी - गाढ़ी
पड़ी किसी पर भारी
रंगा किसी का सर और किसी की दाढ़ी
चोरों का अब हाल बेहाल
मन था गुस्सा तन था लाल
छेदी को चारों धमकाएं
गुस्से में चिल्लाते जाएँ
संकट में तब चोर फँस गए
शोर से जब सब जग गए
अब छेदी संग लागा लाल
जब उसने किया गज़ब कमाल
अब छेदी मूंछ डुलाता है
पिचकारी को और बढाता है ...